Wednesday, June 6, 2018

गंगाजल की महत्ता अपार





भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत में कहा है कि स्रोत सामास्मि जाह्नवी अर्थात जल स्रोतों में मैं ही जाह्नवी (गंगा) हूं। इस प्रकार गंगा श्रीहरि का ही एक स्वरूप है। गंगाजी की महत्ता प्रकट करते हुए स्कंदपुराण में कहा गया है कि
जिस प्रकार अग्नि का स्पर्श करने पर बिना इच्छा के भी अग्नि जला देती है, उसी प्रकार गंगा के जल में स्नान करने
पर बिना इच्छा किए हुए ही गंगाजी सभी पापों को धो देती हैं। विभिन्न धर्मर्ग्रथों में गंगाजी की पवित्रता और महात्म को स्वीकार किया गया है। इसके साथ ही गंगाजल पर विभिन्न शोधों से स्पष्ट हुआ है कि वर्षों तक रखने पर भी यह खराब नहीं होता। गंगाजल में स्वास्थ्यवर्धक तत्वों की बहुलता है।

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