आज घोर कलियुग का वातावरण है| चारो तरफ अनीति, अन्याय, अधर्म फैला हुआ है| चाहे वो सामाजिक क्षेत्र हो, राजनीतिक क्षेत्र हो या धर्म क्षेत्र हो| हर जगह अधर्म का बोलबाला है| इन सबको
बढ़ाने में धर्म क्षेत्र का सबसे ज्यादा हाथ है| आज समाज में हर गली-मोहल्ले में एक संत बना बैठा
है| हजारों संस्थाएं समाज के बीच कार्य कर रही है परंतु सोचने की बात है कि इसके बाद भी समाज का पतन क्यों हो रहा है?
आज समाज में सबसे ज्यादा धार्मिक भावनाओं का शोषण इन धार्मिक संस्थाओं द्धारा ही किया जा रहा है| १ कहावत है कि एक मछली पूरे तालाब को गन्दा करती है परंतु एक दो मछलियों को छोड़कर सभी मछलियां पूरे तालाब को गन्दा करने में लगी हुई है| हमारा कहने का तात्पर्य कुछ संस्थाओं को छोड़ दे तो लगभग 95% संस्थाए समाज में धार्मिक भावनाओ का शोषण कर अपना स्वार्थ सिद्ध कर रही है| उनके अंदर कोई भी आध्यात्मिक शक्ति नहीं है| इसके बाद भी समाज के बीच में दिखावा कर रही है| ये बातें आप सभी देख भी रहे है, अनेक संत एवं उनकी संस्थाओं में छापे पड़ रहे है| उनके यहाँ अय्याशी के अड्डे और अकूत धन सम्पदा पायी जा रही है एवं वे अनेको गलत कार्यों में लिप्त पाए जा रहे है| इस कारण वे जेल की हवा भी खा रहे है|
अधिकाँश धार्मिक गुरुओं के पास कोई साधनात्मक क्षमता नहीं है, वे स्वयं दिशाविहीन है तो समाज को क्या मार्ग देंगे|ऐसे संतो की वजह से समाज की धार्मिक भावनाये आहत हो रही हैं और धर्म के ठेकेदारों से समाज का विश्वास उठता जा रहा है| ऐसी परिस्थितियों में जरूरी है की समाज के बीच में धर्म के सभी ठेकेदारों का एक सम्मलेन हो और उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट किया जाए। और जब सभी सन्तों का लाई डिटेक्टर टेस्ट किया जाएगा, तो उनकी सत्यता समाज के सामने आ जाएगी। जिस संत में साधनात्मक क्षमता सबसे ज्यादा हो उसे विश्व का धर्मगुरु स्थापित करना चाहिए और सभी धर्माचार्यों को उनकी बात मानने के लिए बाध्य होना चाहिए | अगर समाज उनके मार्गदर्शन पे चलेगा तो निश्चित कल्याण होगा|
पूर्व में भी समाज कल्याण के लिए आदि गुरु शंकराचार्य ने धर्म शास्त्रार्थ के लिए धर्मंगुरुओं को चुनौती दी थी और उस शास्त्रार्थ में उन्हें पराजित कर सही मार्ग दिया था| ऐसा करना उनका घमंड नहीं अपितु धर्म क्षेत्र में आये भटकाव को सही मार्ग देना था|आज -शास्त्रार्थ करने का समय नहीं है क्योंकि समाज में भटकाव बहुत है एवं लोगो का धर्म और धर्माचार्यो से विश्वास उठ चुका है इसलिए यह समय है सभी शंकराचार्यों, धर्माचार्यों, कथावाचाकों, तांत्रिकों, मान्त्रिकों और अपने आपको सिद्ध साधक बताने वाले सभी सिद्धों के लाई डिटेक्टर टेस्ट का ।
तभी तो उनकी सच्चाई सामने आएगी, कि कौन धर्माचार्य कितने पानी में है? कौन कितना सत्य बोल रहा है और कौन कितना असत्य बोल रहा है, तभी तो समाज जान पाएगा। कि हम किस अधर्मी से लुट रहे थे।
विशेष नोट हमारा उन सभी व्यक्तियों से आग्रह है, जो इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं। हमारे साथ उनका भी कर्तव्य है कि इस पोस्ट को जन-जन तक पहुंचाने में अपना योगदान दें।
धन्यवाद!
बढ़ाने में धर्म क्षेत्र का सबसे ज्यादा हाथ है| आज समाज में हर गली-मोहल्ले में एक संत बना बैठा
है| हजारों संस्थाएं समाज के बीच कार्य कर रही है परंतु सोचने की बात है कि इसके बाद भी समाज का पतन क्यों हो रहा है?
आज समाज में सबसे ज्यादा धार्मिक भावनाओं का शोषण इन धार्मिक संस्थाओं द्धारा ही किया जा रहा है| १ कहावत है कि एक मछली पूरे तालाब को गन्दा करती है परंतु एक दो मछलियों को छोड़कर सभी मछलियां पूरे तालाब को गन्दा करने में लगी हुई है| हमारा कहने का तात्पर्य कुछ संस्थाओं को छोड़ दे तो लगभग 95% संस्थाए समाज में धार्मिक भावनाओ का शोषण कर अपना स्वार्थ सिद्ध कर रही है| उनके अंदर कोई भी आध्यात्मिक शक्ति नहीं है| इसके बाद भी समाज के बीच में दिखावा कर रही है| ये बातें आप सभी देख भी रहे है, अनेक संत एवं उनकी संस्थाओं में छापे पड़ रहे है| उनके यहाँ अय्याशी के अड्डे और अकूत धन सम्पदा पायी जा रही है एवं वे अनेको गलत कार्यों में लिप्त पाए जा रहे है| इस कारण वे जेल की हवा भी खा रहे है|
अधिकाँश धार्मिक गुरुओं के पास कोई साधनात्मक क्षमता नहीं है, वे स्वयं दिशाविहीन है तो समाज को क्या मार्ग देंगे|ऐसे संतो की वजह से समाज की धार्मिक भावनाये आहत हो रही हैं और धर्म के ठेकेदारों से समाज का विश्वास उठता जा रहा है| ऐसी परिस्थितियों में जरूरी है की समाज के बीच में धर्म के सभी ठेकेदारों का एक सम्मलेन हो और उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट किया जाए। और जब सभी सन्तों का लाई डिटेक्टर टेस्ट किया जाएगा, तो उनकी सत्यता समाज के सामने आ जाएगी। जिस संत में साधनात्मक क्षमता सबसे ज्यादा हो उसे विश्व का धर्मगुरु स्थापित करना चाहिए और सभी धर्माचार्यों को उनकी बात मानने के लिए बाध्य होना चाहिए | अगर समाज उनके मार्गदर्शन पे चलेगा तो निश्चित कल्याण होगा|
पूर्व में भी समाज कल्याण के लिए आदि गुरु शंकराचार्य ने धर्म शास्त्रार्थ के लिए धर्मंगुरुओं को चुनौती दी थी और उस शास्त्रार्थ में उन्हें पराजित कर सही मार्ग दिया था| ऐसा करना उनका घमंड नहीं अपितु धर्म क्षेत्र में आये भटकाव को सही मार्ग देना था|आज -शास्त्रार्थ करने का समय नहीं है क्योंकि समाज में भटकाव बहुत है एवं लोगो का धर्म और धर्माचार्यो से विश्वास उठ चुका है इसलिए यह समय है सभी शंकराचार्यों, धर्माचार्यों, कथावाचाकों, तांत्रिकों, मान्त्रिकों और अपने आपको सिद्ध साधक बताने वाले सभी सिद्धों के लाई डिटेक्टर टेस्ट का ।
तभी तो उनकी सच्चाई सामने आएगी, कि कौन धर्माचार्य कितने पानी में है? कौन कितना सत्य बोल रहा है और कौन कितना असत्य बोल रहा है, तभी तो समाज जान पाएगा। कि हम किस अधर्मी से लुट रहे थे।
विशेष नोट हमारा उन सभी व्यक्तियों से आग्रह है, जो इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं। हमारे साथ उनका भी कर्तव्य है कि इस पोस्ट को जन-जन तक पहुंचाने में अपना योगदान दें।
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http://kalkiavatarnew2015.blogspot.in/
ReplyDeletewww.the-comforter.org
ReplyDeleteसाकार विश्व हरि ही परमात्मा हैं आज इस धरती पर मौजूद है और बड़े बड़े रहस्य खोल हैं जो आज तक किसी भी युग में नहीं हुआ है आज वह वर्तमान में हो रहा है मानव प्रेमी उपासकों दर्शन देकर कर अपनी कृपादृष्टि द्वारा कृतार्थ कर रहे हैं।
ReplyDeleteसाकार विश्व हरि ही परमात्मा हैं आज इस धरती पर मौजूद है और बड़े बड़े रहस्य खोल हैं जो आज तक किसी भी युग में नहीं हुआ है आज वह वर्तमान में हो रहा है मानव प्रेमी उपासकों दर्शन देकर कर अपनी कृपादृष्टि द्वारा कृतार्थ कर रहे हैं।
ReplyDeleteसंजय जी नाम स्पष्ट करें ।
ReplyDeleteसंजय जी नाम स्पष्ट करें ।
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ReplyDeleteUnke photo ke dhyan matra SE app pahchan jayenge unke dhyan SE app ko kundlini shakti jag jati hai Jo app ko automatic yog hota hai mai app sabko challenge karta hoo yadi app sab dum he to unka dhyan karke dekhe pata chal jayega ko woh kalki bhagvan hai ki nahi
Deleteप्रतिक्षा ।
ReplyDeleteप्रतिक्षा।।
ईश्वर जन्म ले चुका है।
coming soon key of the earth
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