मंगल प्रसंगों के अवसर पर पूजा स्थान तथा दरवाजे की चौखट और प्रमुख दरवाजे के आसपास स्वस्तिक चिह्न बनाने की परंपरा है। वे स्वस्तिक कतई परिणाम नहीं देते, जिनका संबंध प्लास्टिक, लोहा, स्टील या लकड़ी से हो।
सोना, चांदी, तांबा अथवा पंचधातु से बने स्वस्तिक प्राण प्रतिष्ठित करवा कर चौखट पर लगवाने से सुखद परिणाम देते हैं। रोली, हल्दी, सिंदूर से बनाए गए स्वस्तिक आत्मसंतुष्टि ही देते हैं। अशांति दूर करने तथा पारिवारिक प्रगति के लिए स्वस्तिक यंत्र रवि-पुष्य, गुरू-पुष्य तथा दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी श्रीयंत्र के साथ लगाना लाभदायक है।
वास्तुदोष के निवारण में भी चीनी कछुआ 700 बोविस देने की क्षमता रखता है। स्वस्तिक आकार एक लाख बोविस सकरात्मक ऊर्जा देने से घर के कई वास्तु दोषों का निराकराण करने की शक्ति प्रदान करता है।
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