खोजपूर्ण सार


खोजपूर्ण सार                                                                                            
अगर हम इन सभी भविष्यवाणियों से लेखक द्वारा निकाले गये तथ्यों को एक क्रम में समेंटे, तो उस अवतार के जीवन के बारे में निश्चित ही बहुत कुछ जानकारी मिल जायेगी। तो, लीजिये इन सभी तथ्यों को इकट्ठा करते हैं:
भविष्यवाणी क्र.सं.-1 से 13 में उस अवतार के जन्म लेने को एक मत से स्वीकारा गया है।
भविष्यवाणी क्र.सं..-14 में भारत से आध्यात्मिकता की लहर पूरे विश्व में फैलने का उल्लेख है।
भविष्यवाणी क्र.सं..-15 में 1998 तक उस चेतना या अवतार को समाज के सामने प्रकट होने की बात लिखी है।
भविष्यवाणी क्र.सं.-16 में उस अवतार के किसी गाँव में जन्म लेने तथा गांधी जी की तरह मार्गदर्शन देने की बात कही है।
भविष्यवाणी क्र.सं.-17 में उस अवतार के सर्वशक्तिमान् होने 2000 तक समाज के सामने अपनी सम्पूर्ण शक्तियों के साथ प्रकट होने तथा माता आदिशक्ति का उपासक होने की बात कही है।
भविष्यवाणी क्र.सं.-18 में संयुक्त ग्रह राज्य की राजधानी गुरुग्रह पर होगी, ऐसा कहा गया है।
भविष्यवाणी क्र.सं.-19 के अनुसार वह अवतार किसी गाँव के ब्राह्मण किसान परिवार में जन्म लेगा तथा वह यज्ञ, पूजा-पाठ में विशेष प्रवीण होगा।
भविष्यवाणी क्र.सं.-20 में उस चेतना का जन्म 1962 के पहले ही हो चुका है।
भविष्यवाणी क्र.सं.-21 22 के अनुसार वह उत्तर प्रदेश प्रान्त में किसी गाँव में जन्म लेगा तथा उसके नाम में ‘‘बरन और ‘‘शरण शब्द जुड़ा होगा, अर्थात् गृहस्थ नाम (जिसे बचपन में माता-पिता ने रखा होगा ) में ‘‘ या ‘‘बरन शब्द जुड़ा होगा तथा एक निश्चित आयु के बाद जब वे अपनी शक्तियों को अपने अन्दर समाहित कर सन्यास धारण करेगा, तब सन्यास जीवन के नाम में ‘‘ या ‘‘शरन शब्द जुड़ होगा। उसका जन्म सन् 1960 के आस-पास होगा। वह अपने साधनात्मक कार्य अर्थात् महत्त्वपूर्ण शक्तियज्ञ चौकोर आसन पर बैठकर करता होगा एवं बृहस्पतिवार उनका महत्त्वपूर्ण दिन होगा।
भविष्यवाणी क्र.सं.-23 के अनुसार भारत का सूर्य बलवान् है। इसलिए अवतारी पुरुष के हाथ में भी ‘‘सूर्ययोग पूर्ण प्रभावक स्थिति में होना चाहिए। साथ ही बृहस्पतिवार की विशेष स्थिति होने की वजह से उस अवतार को गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वहन करना चाहिये और समाज को सत्य-असत्य का ज्ञान कराते हुये, मानव मूल्यों की स्थापना करना तथा जन-जन में माता भगवती की पूजा-आराधना का ज्ञान देना चाहिये।
भविष्यवाणी क्र.सं.-24 के अनुसार उस अवतार के मस्तक पर ‘‘V के आकार का, अर्थात् A जैसा लाल तिलक होगा (शक्ति का उपासक मस्तक पर लाल तिलक अवश्य लगाता है़) एवं गले में दो रेखायुक्त अर्द्धचन्द्र होगा।
भविष्यवाणी क्र.सं.-25 के अनुसार उस अवतार के जन्मस्थान के ग्राम का नाम ‘‘ सं, , इन तीन अक्षरों में से किसी एक अक्षर से प्रारंभ होगा। शायद इन तीन अक्षरों के बीच का अक्षर ‘‘ से उस गांव का नाम हो।
भविष्यवाणी क्र.सं.-26 के अनुसार उस अवतार का जन्म तो उत्तर प्रदेश में होगा, परन्तु उसका कर्मक्षेत्र मध्य प्रदेश होगा।
भविष्यवाणी क्र.सं.-27 के अनुसार 1994 में धूमकेतु की टक्कर की घटना के बीच ही उस योगी या अवतार के कार्य समाज के बीच चल रहे होने की पुष्टि की है एवं उसे सभी धर्मों जातियों का जनसमर्थन भी प्राप्त होगा।
इतने सारे तथ्यों को पढ़ने के बाद अगर अपने चारों ओर ध्यान से निरीक्षण करें और उनके हिसाब से तालमेल बिठायें, तो बहुत कुछ स्पष्ट हो जायेगा। इन तथ्यों का क्रमानुसार एक चार्ट बना रहे हैं, ताकि हर तथ्य को गहराई से समझा जा सके।

नाम (गृहस्थ का)
नाम में ‘‘‘‘ या बरन शब्द जुडा होना
02
नाम (सन्यास का)
नाम में ‘‘‘‘ या शरन शब्द जुड़ा होना
03
माता-पिता
सामान्य किसान ब्राह्मण
04
जाति
ब्राह्मण (हिन्दू)
05
उपासना
आदिशक्ति जगत्जननी माता दुर्गा जी की
06
विशेष प्रवीणता
यज्ञकार्य में
07
जन्म स्थान
उत्तर प्रदेश
08
वर्तमान में कर्मक्षेत्र
मध्य प्रदेश
09
समाज के सामने आना
1995 से 2000 तक
10
मस्तक पर
अंग्रेजी के ‘‘A ‘‘ आकार का लाल तिलक
11
गले के योग
दो रेखायुक्त अर्द्धचन्द्र
12
हाथ के योग
पूर्ण प्रभावक ‘‘सूर्ययोग‘‘
13
जन्म समय
1960 से 1962 के बीच
14
वर्तमान (सन् 2018) में आयु
लगभग 58 वर्ष के आस-पास
15
धूमकेतु एवं गुरुग्रह की टक्कर के समय
उसके साधनात्मक यज्ञ कार्य समाज के बीच चल रहे होंगे।
16
अवतार की साधनात्मक स्थिति
विश्व की समस्त भौतिक शक्तियों से भी ज्यादा
17
शक्तियज्ञ के समय का आसन
लकड़ी का चौकोर आसन
18
महत्त्वपूर्ण दिन
गुरुवार (बृहस्पतिवार)
19
समाज के बीच कार्य
गुरु शिष्य परम्परा के द्वारा समाज का मार्गदर्शन कर धर्म की स्थापना अपने शिष्यों द्वारा जन-जन में माता का गुणगान पहुंचाना।
20
जीवनकाल में विशेष महत्त्व
32 अक्षरों वाली दुर्गानाममाला का

21 लेखक के अनुसार उस अवतार के सम्पूर्ण शरीर में 16 महत्त्वपूर्ण योग जो किसी अवतार के ही शरीर में हो सकते है, होना चाहिए।
इतने सब तथ्य इकट्ठे करने के बाद हम इन्हें क्रमानुसार मिलाते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि उस अवतार के गृहस्थ नाम में या बरन शब्द जुड़ा होगा और साधनात्मक (सन्यास) नाम में ‘‘ या शरन शब्द जुड़ा होगा तथा वह शक्ति का उपासक होगा। इस प्रकार वह माता आदिशक्ति के ही किसी विशेष यज्ञ (जिन्हें सम्पन्न कराने की पात्रता इस युग में, इस पृथ्वी पर, उसके अलावा किसी भी साधक, तपस्वी, योगाचार्य, कथावाचक, धर्माचार्य या मठाधीश में नहीं होनी चाहिये) सम्पन्न करता होगा।
नोट- यह भी एक महत्त्वपूर्ण प्रमाण होगा उस अवतार को पहिचानने का। वह गुरुवार के दिन को ज्यादा महत्त्व देता होगा। संभव है कि वह समाज को गुरुवार व्रत का उपदेश देता हो। उसका जन्म तो उत्तर प्रदेश में होगा, परन्तु कार्यक्षेत्र मध्यप्रदेश का ही कोई जिला या तहसील होना चाहिए। इस समय उसकी उम्र 58 वर्ष के आसपास होगी। वह ब्राह्मण कुल में जन्मा किसान का बेटा होगा। उसे सन्यास की तरफ अग्रसर करने में निश्चय ही उसके पिता का हाथ होना चाहिए। मस्तक एवं गले में अर्द्धचन्द्र का निशान होगा या यह कहें कि उसके मस्तक में उल्टे V के आकार का A” जैसा लाल तिलक तथा गले में दो रेखायुक्त अर्धचन्द्र होगा। 32 अक्षरों वाली दुर्गानाममाला का उसके जीवन में विशेष महत्त्व होना चाहिए। 1995 से 2000 तक वह पूर्णतया समाज के सामने उपस्थित हो जायेगा, परन्तु समाज उन्हें पहिचान नहीं पायेगा। जब गुरु ग्रह की टक्कर हुई, उसी समय उस अवतार या चेतना द्वारा भी समाज हित में कहीं कहीं शक्तियज्ञ सम्पन्न किये जा रहे होंगे। इससे समाज का हर वर्ग लाभान्वित हुआ होगा। अगर हम इन सब बिन्दुओं को अपने सामने रखकर उस अवतार को खोजें, तो उस अवतार तक पहुँचने का मार्ग आसान हो जायेगा। जरूरत है इन बिन्दुओं के आधार पर उस चेतना को खोजने की।
नोट:- मेरा सभी से अनुरोध है कि पूर्व में की गई गलतियों को दोहरायें और यथाशीघ्र उस युगपुरुष को खोजें। उनके पावन चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित करके उनके मार्गदर्शन में चलें, जिससे माता आदिशक्ति जगत् जननी का साक्षात्कार होगा, जो मानव जीवन का चरम लक्ष्य है। इसी कामना के साथ मैं समाज से वादा करता हूं कि अगर समाज इन तथ्यों के बाद भी उन अवतार या इस युग के युगपुरुष तक नहीं पहुंच पा रहा है। तो पूर्ण प्रमाणों के साथ आगे उस परम श्रद्धेय युग पुरुष (अवतार) तक पहुंचने का मार्ग बताऊंगा। मैने एक ‘‘-बुक लिखी है जिसमें इस युग के ‘‘कल्कि अवतार से सम्बन्धित समस्त तथ्य हैं। साथ ही वे कहां हैं? उनके द्वारा समाज हित में किस तरह के कार्य चल रहे हैं? समाज को उनके द्वारा क्या लाभ मार्गदर्शन मिल रहा है? आदि-आदि सभी कुछ विवरण लिखा हुआ है। हमारे सम्पर्क में बराबर बने रहें, जिससे हम आपको अवतार से सम्बन्धित अनेकों प्रामाणिक जानकारियां देते रहेंगे।


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