इसे कलियुग का महान आश्चर्य कहें या अपना दुर्भाग्य?
भगवान्
कल्कि
ने
सचमुच
ही
इस
भारत
देश
में
जन्म
ले
लिया
है।
यह
हम
नहीं देश-विदेश
के
अनेकों
भविष्यवक्ता
अपनी-अपनी
भविष्यवाणियों
में
कह
रहे
हैं
कि
भगवान्
कल्कि
ने
सन् 1960 से 1962 के
बीच
जन्म
ले
लिया
है
और
समाज
के
बीच
अपने
जनकल्याणकारी
कार्यों
को
भी
अंजाम
दे
रहे
हैं।
हम इसे
इस
कलियुग
का
महान्
आश्चर्य
कहें
या
अपना
दुर्भाग्य ? हमारे
देश
के
अनेकों
शंकराचार्य, धर्माचार्य, मठाधीश, कथावाचक, योगाचार्य
अपने
आपको
त्रिकालज्ञ, सिद्धपुरुष
बताते
हैं।
वे
कहते
है
कि
हमारी
कुण्डलिनी
शक्ति
पूर्णतया
जाग्रत
हैं
हम
अपने
इष्ट
के
प्रतिदिन
दर्शन
प्राप्त
करते
हैं
और
समाज
के
व्यक्तियों
की
कुण्डलिनी
जाग्रत
करने
का
दावा
भी
करते
हैं।
वे
भी
भगवान्
कल्कि
को
खोज
नही
पा
रहे
हैं।
इससे
सिद्ध
होता
हैं
कि
ये
सभी
धर्म
के
ठेकेदार
लम्बी-लम्बी
बातें
कर
समाज
को
गुमराह
कर
रहे
हैं
और
अपना
भौतिक
स्वार्थ
सिद्ध
कर
रहे
हैं।
इनके
अन्दर
कोई
भी
साधनात्मक
तपबल
बचा
ही
नहीं
है, अगर
इनके
अन्दर
कोई
भी
साधनात्मक
तपबल
बचा
है
तो
भगवान्
कल्कि
को
पहिचानने
की
कोशिश
करें
तथा
समाज
को
भी
उन
तक
पहुंचाये, जिससे
समाज
का
कल्याण
हो
सके।
जो व्यक्ति
जिस
भी
धर्मगुरु
से
जुड़ा
है, वह
उनसे
यह
प्रश्न
करे
कि
भगवान! कल्कि
कौन
हैं
और
कहां
पर
हैं ? यह
निश्चित
है
कि
समय
रहते
अगर
हम
उन
तक
पहुंच
सके
तो
इस
जीवन
में
ही
हमारा
कल्याण
हो
जायेगा।
हम आपको
भगवान्
कल्कि
से
सम्बन्धित
अनेकों
प्रामाणिक
जानकारियां
दे
रहे
हैं।
इनके
आधार
पर
आप
अपने-अपने
धर्म
गुरुओं
पर
आजमाकर
देखें।
इससे
हम
निश्चय
ही
पता
कर
पायेंगे
कि
वह
अवतार
कहां
पर
है
और
कौन
है?
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