भविष्यवक्ता और उनकी भविष्यवाणियाँ


भविष्यवक्ता और उनकी भविष्यवाणियाँ               

1. श्रीमती आयरिन ह्यूजेज (अमेरिका)
ईश्वर का जन्म भारत में हो चुका है, जो युद्ध के बाद शेष संसार को शांति का संदेश देगा।
साभार- विश्व की आश्चर्यजनक भविष्यवाणियाँ, लेखक- नरेन्द्र शर्मा, प्रकाशक-पवन पॉकेट बुक्स, दिल्ली (भारत)

2. कीर्तिधरण (सिंगापुर)
ईश्वर का जन्म भारत में हो चुका है। इसे ही हमारे ग्रन्थों में ईश्वर अवतार (कल्कि अवतार) कहा गया है।
साभार- विश्व की आश्चर्यजनक भविष्यवाणियाँ, लेखक- नरेन्द्र शर्मा, प्रकाशक-पवन पॉकेट बुक्स, दिल्ली (भारत)

3.बंगाल के सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ता तथा संतध्यान योगी
संसार को सतयुग का प्रकाश देने वाली आत्मा का जन्म भारतवर्ष में हो चुका है।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

4. डॉ0 नारायण दत्त श्रीमाली जी
भारत में ईश्वर का जन्म हो चुका है और वह जल्द ही समाज के सामने प्रकट होगा।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

6. उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध संतशिवानन्द जी
(1) भारत को सही रास्ता दिखाने वाले नेता का जन्म हो चुका है।
(2) भारत की प्रतिष्ठा विश्व में निरंतर बढ़ती रहेगी।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

7. दक्षिण के प्रसिद्ध संत तथा विचारकमूर्ति
(1) कल्कि भगवान् का अवतार भारत में हो चुका हैं।
(2) भारत आयुर्वेद, ज्योतिष आदि ज्ञान में विशेष प्रगति करेगा।
(3) भारत के चतुर्दिक जो छोटे-छोटे देश हैं, वे सब भारतवर्ष में मिल जायेंगे।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

8. संत गुरूनानक देव जी
संकेतों में भविष्यवाणी करने वाले गुरू नानक जी महाराज ने भी यहाँ 1997 में किसी वीर पुरुष के उठने, आगे आने की बात कही है। वे शब्द हैंः
‘‘आवन अठ तरै जान सतानवे, होर भी उठसी मरद का चेला।’’
साभार- दुर्लभ भविष्यवाणियाँ, लेखक- अशोक कुमार शर्मा, प्रकाशक- तुलसी पब्लिकेशन्स, मेरठ, उत्तर प्रदेश (भारत)

9. प्रो. गेरार्ड क्राइसे (हालैंड)
भारत में एक ऐसी दिव्यात्मा ने जन्म ले लिया है, जो पूरे विश्व को सत्यधर्म का रास्ता दिखाएगी। पापों का अंत उसी के द्वारा होगा। ज्योतिष के क्षेत्र में भी भारत एक शीर्ष स्थान प्राप्त करेगा तथा पूरा विश्व उसका लोहा मानेगा।
साभार- विश्व की आश्चर्यजनक भविष्यवाणियाँ, लेखक- नरेन्द्र शर्मा, प्रकाशक-पवन पॉकेट बुक्स, दिल्ली (भारत)

10. मिस्टर एडर्सन (अमेरिका)
1.एशिया ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में भारत की शक्ति बढे़गी तथा उसका प्रभुत्व एवं वर्चस्व स्थापित होगा।
2. सन् 1999 तक पूरा विश्व एकझंडे के तले कार्य करेगा तथा विश्व राष्ट्र का सपना साकार होगा।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

11. पादरी पियो (इटली)
(1) भारत सन् 1970 के बाद प्रगति करेगा और 1995 तक विश्व का एक प्रमुख राष्ट्र बन जायेगा।
(2) विश्व युद्ध के बाद भारत संसार की एक प्रमुख हस्ती होगी और लोग उसकी बात को मानने के लिए बाध्य होंगे।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डा. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

12. योगी आनन्दाचार्य (नॉर्वे)
(1) सन् 1995 तक विश्व के शक्तिशाली देशों में भारत का नाम छठे स्थान पर होगा।
(2) सन् 1971 के बाद भारत शक्तिशाली बनेगा।
(3) सन् 1975 के बाद विश्व में संस्कृत भाषा का तीव्रता से विकास होगा और पाश्चात्य में भी संस्कृत भाषा को पूर्ण मान्यता मिलेगी।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

13. पीटर हरकौस (हालैण्ड)
भारत देश ही एक ऐसा देश होगा, जिसका आध्यात्मिक प्रभाव प्रकाश बनकर विश्व में चारों ओर फैलता जायेगा। लोग इससे लाभ उठायेंगे और हर देश भारत की ओर झुकेगा।
साभार- विश्व की आश्चर्यजनक भविष्यवाणियाँ, लेखक- नरेन्द्र शर्मा, प्रकाशक-पवन पॉकेट बुक्स, दिल्ली (भारत)

14. गंगोत्री के प्रसिद्ध सन्तनिर्वाणानन्द जी
(1) भारत आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नति करेगा।
(2) युग परिवर्तन की प्रक्रिया अप्रैल 1999 से चालू होगी।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

15. बाबाजी लक्ष्मणदास मदान
सन् 1998 में अप्रैल माह तक कोई विलक्षण अलौकिक शक्तिसम्पन्न भारतीय संत पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करेगा।
साभार- दुर्लभ भविष्यवाणियाँ, लेखक- अशोक कुमार शर्मा, प्रकाशक- तुलसी पब्लिकेशन्स, मेरठ, उत्तर प्रदेश (भारत)

16. विश्वविख्यात महिलाजीन डिक्सन(अमेरिका)
भारत के एक ग्रामीण परिवार में एक ऐसे व्यक्ति का जन्म होगा, जो अपने कार्यों से पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेगा तथा गांधी जी की तरह समाज का मार्गदर्शन भी करेगा।‘‘
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

17. विख्यात भविष्यवक्ता प्रो..के.दुबेपद्मेश
सन् 2000 के आसपास ही भविष्य का अवतारी पुरुष प्रकट होगा। यह अवतारी पुरुष चमत्कारी शक्तियों के कारण अल्पायु में ही ख्याति प्राप्त करेगा। वह एक ही ईश्वर की पूजा का संदेश देगा, मगर कोई नया धर्म नहीं चलायेगा। संसार के अनेक देशों में वह सत्ता परिवर्तन का कारण बनेगा, मगर उन देशों का शासन अपने द्वारा नियुक्त लोगों से करायेगा।
साभार- दुर्लभ भविष्यवाणियाँ, लेखक- अशोक कुमार शर्मा, प्रकाशक- तुलसी पब्लिकेशन्स, मेरठ, उत्तर प्रदेश (भारत)

18. आर्थर चार्ल्सक्लार्क
जिस प्रकार इस समय संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय अमेरिका में है, उसी प्रकार संयुक्त ग्रह राज्य संघ का मुख्यालय मंगल ग्रह या गुरु पर हो सकता है। सन् 1981 तक भारत अपने आपमें शक्तिशाली हो जायेगा तथा वहां से एक ऐसी जबर्दस्त विचार क्रान्ति उठेगी, जो पूरे विश्व को प्रभावित करेगी। भारत का धर्म और अध्यात्म पूरा विश्व स्वीकार करेगा।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

19. प्रोफेसरहरार
भारत में एक ऐसा व्यक्ति पैदा हो गया है, जो आने वाले समय में विश्व का मार्गदर्शक होगा। वह व्यक्ति ब्राह्मण है तथा वर्ण गोरा है, वह यज्ञ तथा पूजा पाठ में विशेष प्रवीण होगा। इसका विकास सन् 1970 के बाद होना चाहिये।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डा. नारायण दत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

20. डा0 जूलबर्न (फ्रान्स)
भारत में एक ऐसे व्यक्ति का जन्म सन् 1962 के पहले ही हो चुका है, जो पूरी दुनिया को आगे चलकर रास्ता दिखाने में सहायक होगा।
साभार- अमर भविष्यवाणियाँ, लेखक- डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली जी, प्रकाशक-मयूर पेपर बैक्स, नई दिल्ली (भारत)

20. सत्य होती भविष्यवाणियां (डॉ0 जूलबर्न फ्रान्स)
यूरोपीय जातियों का झुकाव भारतवर्ष जैसे धार्मिक देश की ओर तेजी से बढ़ेगा। केवल लोग भारतीयों का अनुगमन, वेशभूषा, खान-पान, गृहस्थ संबंधों के रूप में करेंगे वरन् भारतीय धर्म तथा संस्कृति के प्रति श्वेत जातियों का आकर्षण इतना बढे़गा कि सन् 2000 तक दूसरे देशों मे बीसियों हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिरों की स्थापना हो चुकी होगी और उनमें लाखों लोग पूजा, उपासना, भजन-कीर्तन और भारतीय पद्धति के संगीत का आनंद लेने आने लगेंगे। यूरोपवासियों के घरों में भारतीय देवी-देवताओं के चित्र तक लगेंगे।
चीन अणुबम बनाकर भी एशिया का प्रभुतासम्पन्न देश नहीं बनेगा। उसकी भारतवर्ष से काफी समय तक शत्रुता बनी रहेगी। भारत उससे केवल अपनी भूमि छुड़ा लेगा, वरन् तिब्बत भी मुक्त हो जायेगा। उसके भारतवर्ष में मिल जाने की संभावना भी है।
संसार के किसी सर्वाधिक प्राचीन पर्वत से, जो वर्षभर बर्फ से ढका रहता है (संभवतः हिमालय), कुछ ऐसी सामग्री, पुस्तकों और स्वर्णमुद्राओं का भंडार मिल सकता है, जो ईसा पूर्व के इतिहास को बिलकुल ही बदल सकता है। यही नहीं, उससे संम्बन्धित देश (सम्भवतः भारत) इतना शक्तिशाली हो सकता है कि रूस, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी मिलकर भी उसका सामना करने में समर्थ नहीं होंगे।
उपरोक्त किसी भू-भाग से एक रहस्यमय व्यक्ति का अभ्युदय होगा, जो आज तक के इतिहास का सबसे समर्थ व्यक्ति सिद्ध होगा। उनके बनाये विधान सारे संसार में लागू होंगे और सन् 2050 तक यह विधान सारी पृथ्वी को एक संघीय राज्य में बदल देंगे।
सन् 2000 तक विश्व की आबादी 640 करोड़ के लगभग होगी। परमाणु युद्ध तो नहीं होंगे, पर वर्ग-संघर्ष बढे़गा। एक ओर इस तरह के संघर्ष हो रहे होंगे दूसरी ओर एक विश्वव्यापी धार्मिक क्रांति उठ खड़ी होगी, जो ईश्वर और आत्मा के नये-नये रहस्य प्रकट करेगी। विज्ञान उनकी पुष्टि करेगा। फलस्वरूप, नास्तिकता और वामपंथ नष्ट होते चले जाएंगे। उसके स्थान पर लोगों में आस्तिकता, न्याय, नीति, श्रद्धा, अनुशासन और कर्तव्यपरायणता के भाव उगते चले जायेंगे। ये परिवर्तन ही विश्वशांति के आधार बन सकते हैं।
प्रो.जूलबर्न ने बताया है कि यह आध्यात्मिक क्रांति भारतवर्ष से ही उठेगी इसके संचालन के लिए वह व्यक्ति सन् 1962 के पूर्व ही जन्म ले चुका है। इस समय उसे भारतवर्ष के किसी महत्त्वपूर्ण कार्य में संलग्न होना चाहिये, उसके अनुयायियों की बड़ी संख्या भी है, जो एक समर्थ संस्था के रूप में प्रकट होंगे और देखते वे ही देखते सारे विश्व में प्रभाव जमा लेंगे। असंभव दिखने वाले परिवर्तनों को वे आत्मशक्ति के माध्यम से सरलता सफलतापूर्वक सम्पन्न करेंगे।
साभार-दैनिक नवभारत, रविवार, 13 नवम्बर 1998 जबलपुर (.प्र.) भारत

21. सत्य होती भविष्यवाणियां
तीन सागरों की शृंखला में जन्मा पूर्व में एक ऐसा नेता पैदा होगा, जोबृहस्पतिवार को अपना उपासना दिन (सरकारी अवकाश) घोषित करेगा, उस गैर ईसाई व्यक्ति की महिमा, प्रशंसा और अधिकार इतने प्रबल होंगे कि समस्त धरती समुद्रपर्यन्त वह तूफान की तरह छाया रहेगा।
यह नास्त्रेदमस की सर्वाधिक चर्चित भविष्यवाणी है। भौगोलिक स्थिति के अनुसार संपूर्ण विश्व में भारत ही एक ऐसा स्थान है, जिसके दोनों छोरों पर दो सागर हैं तथा चरणों में एक महासागर है। नास्त्रेदमस के अनुसार, एशिया का महान् नेता भारत में जन्म लेगा। वह ईसाई नहीं होगा, अपितु ऐसा व्यक्ति होगा, जोबृहस्पतिवार (गुरुवार) को शुभ दिन मानेगा।
संसार में प्रत्येक धर्म के उपासनावार एवं शुभवार अलग-अलग हैं। ईसाइयों का पूजा दिवस रविवार है, इस्लाम का पवित्र दिवस शुक्रवार है और यहूदियों का प्रार्थना दिवस शनिवार है। विश्व में एक हिन्दू जाति ही ऐसी है, जो बृहस्पतिवार को सर्वाधिक श्रेष्ठ शुभ मानती है, क्योंकि यह देवगुरु बृहस्पति का वार है, जो देवताओं के गुरु कहलाये गये हैं।
साभार- नवभारत, रविवार 25 अक्टूबर 1998 जबलपुर .प्र. (भारत) लेख- चन्द्रसेन दरेकर

22, नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां
सेन्चुरी ( -50वा छंद)
तीन ओर समुद्र से घिरे क्षेत्र में वह जन्म लेगा, जो बृहस्पतिवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा। उसकी प्रसंसा, प्रसिद्धि, सत्ता और शक्ति बढ़ती जाएगी और भूमि समुद्र में उस जैसा शक्तिवान् कोई होगा।
सेन्चुरी (-27)
पांच नदियों के प्रख्यात एक द्वीप राष्ट्र में एक महान् राजनेता का उदय होगा। उसका नाम वरन या शरण जैसा होगा। वह एक शत्रु के उन्माद को हवा के जरिये समाप्त करेगा। इस कार्यवाही से छः लोग बचेंगे।
सेंचुरी (-75)
भलों पर सवार होकर वह सही का साथ देगा। वह हमेशा चौकोर पत्थर पर बैठा रहेगा, दक्षिण की ओर बायें हाथ पर एक अजीब छड़ी लिए, मुह बंद होगा उसका।
सेन्चुरी (-75)
एशिया में वह होगा, जो यूरोप में नहीं हो सका होगा। एक विद्वान् शांतिदूत पूर्व के सभी राष्ट्रों पर हावी होगा।
सभार - नास्त्रेदमस की सम्पूर्ण भविष्यवाणियां, लेखक- अशोक कुमार शर्मा, प्रकाशक-डायमंड पाकेट बुक्स, नई दिल्ली (भारत)

23. अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त भविष्यवक्ताप्रो0 कीरो
भारतवर्ष का सूर्य बलवान् है और कुम्भ राशि पर है। उसका अभ्युदय संसार की कोई ताकत नहीं रोक सकती। विशुद्ध धर्मावलम्बी नीति के एक सशक्त व्यक्ति के भारतवर्ष में जन्म लेने के योग हैं। वह व्यक्ति सारे देश को जगाकर रख देगा। उसकी आध्यात्मिक शक्ति दुनियाभर की तमाम भौतिक शक्तियों से अधिक होगी। बृहस्पति का योग होने के कारण ज्ञान क्रांति की संभावना है, जिसका असर दुनिया में पडे़ बिना नहीं रहेगा।

24. कल्कि अवतार
उत्तराखण्ड के योगी, सन्त और महात्माओं की एक बैठक की गई, जिसमें निष्कलंक अवतार के सम्बन्ध में चर्चा हुई और सर्वसम्मति से निष्कर्ष निकाला गया कि भगवान् कल्कि का अवतार हो चुका है। मुसीबत यह है कि यदि अनेक नामधारी सन्त, महन्त अपने आपको कल्कि घोषित करने लगेंगे, तब क्या होगा ? ‘वास्तविक कल्कि अवतार नामक एक छोटी सी पुस्तिका छपवाकर उत्तराखण्ड के महात्माओं ने उसे सारे देश में वितरित किया, जिससे लोग अनेक कल्कियों के चक्कर में पड़कर वास्तविक कल्कि की पहिचान कर सकें तथा उसके द्वारा विश्व की नवनिर्माण की प्रक्रिया में सहयोग दे सकें। इसी पुस्तिका के कतिप अंशः
उस महापुरुष के मस्तक पर दोनों भौहों के बीच अंग्रेजी के उल्टे ‘‘V के आकार का चन्द्रमा होगा और गले में दो रेखायुक्त अर्द्धचन्द्र का चिह्न होगा। वह विशुद्ध भारतीय वेशभूषा में होगा। उसका बालकों जैसा स्वस्थ, योद्धाओं जैसा साहसी, अश्विनी कुमारों की तरह चिरयुवा और वेदों एवं शास्त्रों का प्रकाण्ड पंडित होगा। उसका पिता ही उसे योग साधनाओं की ओर प्रेरित करेगा। 32 अक्षरों का उसके जीवन में अत्यधिक महत्त्व होगा।
साभा.-युगपरिवर्तन की सुनिश्चित सम्भावनायें, ले.-श्री राम शर्मा आचार्यजी, प्र.-युग निर्माण योजना, मथुरा, यू.पी. (भारत)

25. भविष्य का अवतार ‘‘कल्कि‘‘
महाभारत के वन पर्व में महात्मा मार्कण्डेय ने कलियुग के तमाम लक्षण बताने के बाद कहा है कि जब कलियुग में एक बार पृथ्वी पर विनाश का तांडव हो रहा होगा, तब संभल नामक गांव में एक ब्राह्मण विष्णुयश के घर में एक अवतारी बालक उत्पन्न होगा। उसको लोग कल्कि विष्णुयश नाम से जानेंगे। वह आरम्भ से ही बहुत असाधारण बुद्धिमान्, बलवान् तथा बहादुर होगा। इच्छा करते ही वह कुछ भी कर सकेगा। वह विद्यावान् युवकों की एक ब्रह्मसेना बनायेगा और पृथ्वी को अत्याचारियों अनाचारियों से मुक्त करायेगा। कल्कि विष्णुयश एक महाप्रतापी शासक के रूप में लम्बे समय तक राज भी करेगा।
साभार- दुर्लभ भविष्यवाणियाँ, लेखक- अशोक कुमार शर्मा, प्रकाशक- तुलसी पब्लिकेशन्स, मेरठ (भारत)

26. महात्मा तिश्वरंजन ब्रह्मचारी
देश में एक महान आध्यात्मिक क्रांति होगी तथा इसका संचालन यद्यपि मध्यभारत से ही होगा, पर उसका सम्बन्ध भारतवर्ष के हर प्रान्त से होगा।

27. प्रभात खरे, एस्ट्रोपामिस्ट
धूमकेतु का बृहस्पति से टक्कर बुरा भी और अच्छा भी। धूमकेतु के बुरे प्रभाव से सभी परिचित हैं, परन्तु जो अच्छा प्रभाव इन्होंने लिखा है, वह निम्न है संभवतः पहली बार हो रहा है कि धूमकेतु की गुरु से टक्कर का एक अच्छा कल्याणकारी प्रभाव होगा। केतु जिसका कारक या प्रतिनिधित्व करता है, वह है- जननांग, बाल, धर्म, धागा, तंत्रिकातंत्र, बाधा, चेन, मनकों वाली माला, जाल में उलझना इत्यादि। ज्योतिष में इन कारकों का उपयोग प्रतीक के रूप में होता है। इस तरह शूमेकर लेवी धूमकेतु 21 मनकों वाली माला के रूप में आगे बढ़कर गुरु के साथ युति कर रहा है। इसका अर्थ हुआ कि केतु का गुरु के साथ योग तथा साथ ही साथ केतु की छाया ग्रह की सातवीं दृष्टि भी है मेष राशि से। इसका अर्थ हुआ कि संसार में आध्यात्मिक प्रगति जोर पकडे़गी, जिसके फलस्वरूप-
(1) धर्मप्रधान देश उन्नति करेंगे जैसे भारत, मिस्र, चीन।
(2) अध्यात्म और परामनोविज्ञान के क्षेत्र में प्रतिभा रखने वाले व्यक्ति लोक हित कार्यों में आगे आयेंगे। एक संभावना यह भी है कि कोई महात्मा या योगी, एक नये धर्म का प्रचार-प्रसार करेगा और सबसे बडी बात यह है कि इस व्यक्ति को व्यापक जनसमर्थन सभी धर्मों के व्यक्तियों से मिलेगा।
साभार- नवभारत (समाचार पत्र) 25 जून 1994, बिलासपुर, मध्य प्रदेश (भारत)

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